DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :न क्लेशसंततेः स्वाभाविकत्वात् II4/1/65
सूत्र संख्या :65

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : क्लेश सन्तति दुःखादि जीवात्मा के स्वाभाविक गुण है, फिर उनका नाश किस प्रकार हो सकता है? क्योंकि स्वाभाविक गुण का नाश नहीं होता, और जिसका नाश हो वह स्वाभाविक नहीं। इसका आंशिक समाधान करते हैं-