DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :सुषुप्तस्य स्वप्नादर्शने क्लेशाभाववदपवर्गः II4/1/63
सूत्र संख्या :63

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जैसे गाढ़ निद्रा में सोये हुए पुरूष को इन्द्रिय और मन का विषयों के साथ सम्बन्ध न रहने से सुख दुःख का कुछ भी अनुभव नहीं होता। ऐसे ही मुक्तावस्था में केवल आनन्दस्वरूप ब्रह्य के साथसम्बन्ध होने से और गगानुबन्ध के टूट जाने से दुःख का अभाव हो जाता है। अतएव मोक्ष में जब क्लेश रहता ही नहीं, तब वह उसका बाधक कैसे हो सकता है। मोक्ष में प्रवृत्ति का बन्धन भी नहीं रहता, इसको अगले सूत्र में दिखाते हैं-