सूत्र :विविधबाधनायोगाद्दुःखमेव जन्मोत्पत्तिः II4/1/55
सूत्र संख्या :55
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : शरीर का प्रकट होना जन्म है और शरीर तीन प्रकार के हैं (1) उत्तम (2) मध्यम (3) अधम। उत्तम शरीर देवताओं को होता है, मध्यम मनुष्यों का अधम असुरों का या तिर्यक जन्तुओं का। यद्यपि इनमें दुःख का तारतम्य है, अर्थात् देवताओं के शरीर में दुःख बहुत कम हैं, मनुष्यों में दुःख-सुख बराबर हैं, और अधम शरीरों में दुःख बहुत है, तथापि बांधना का योग होने से सब शरीर दुःखात्रांत है। तात्पर्य यह कि जन्म ही दुःख का कारण है। इस मूलोच्छेद बिना तत्त्वज्ञान के नहीं हो सकता। अब इस पर आक्षेप करते है।-