DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :प्रीतेरात्माश्रयत्वादप्रतिषेधः II4/1/52
सूत्र संख्या :52

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : कर्म जो धर्माऽधर्मभेद से दो प्रकार का है, इच्छा से सम्बन्ध रखता है और इच्छा आत्मा का गुण है शरीर तो केवल उनका अधिष्ठान मात्र है, इसलिए कर्म उसका फल ये दोनों आत्मा से ही सम्बन्ध रखते हैं, आत्मस दोनों शरीरों में एक ही रहता है, इसलिए वृक्ष का दृष्टांत सर्वथा उपयुक्त है। वादी पुनः शंका करता हैः