DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :न पुत्रपशुस्त्रीपरिच्छदहिरण्यान्नादिफलनिर्देशात् II4/1/53
सूत्र संख्या :53

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : एक ही आश्रय में कर्म और कर्मफल के होने का नियम नहीं, क्योंकि स्तगी पुत्र आदि भी कर्मों का फल माने जाते हैं, और वे अपने आत्मा से भिन्न हैं अपना आत्मा आश्रय नहीं। इसलिए कर्म और फल इन दोनों को आश्रय एक नहीं, किन्तु भिन्न-भिन्न हैं, इसलिए वृक्ष का दृष्टांत अयुक्त है। इसका उत्तर देते है।