सूत्र :न पुरुषकर्माभावे फलानिष्पत्तेः II4/1/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्मफल देने वाला ईश्वर है, यह कथन ठीक नहीं। क्योंकि जो दुःख सुख का होना ईश्वर के अधीन होता तो वह बिना कर्म के भी दे देता, परन्तु बिना कर्म के फल किसी को नहीं मिलता। इससे जाना जाता है कि कर्मफल देने वाला ईश्वर नहीं, किन्तु कर्म स्वयं ही फल देते हैं। जो कर्म करता है, वह फल पाता है, जो नहीं करता, वह नहीं पाता। अब सूत्रकार इनका उत्तर देते हैं-