सूत्र :व्याघातादप्रयोगः II4/1/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह कहना कि बीज के नाश होनपे पर अंकुर की उत्पत्ति होती है, ठीक नहीं क्योंकि इसमें व्याघात दोष आता है। क्योंकि बीज के गलने से उसका अभाव नहीं होता। यदि अभाव से उत्पत्ति होती तो बीज के होने और उसके गलने की आवश्यकता ही क्या थी, किन्तु बिना बीज के ही अंकुर उत्पन्न हो जाता। दूसरे जब बीज को तोड़ कर अंकुर उत्पन्न होता है तो बीज के तोड़ने वाले का अभाव नहीं, यदि उसका अभाव होता तो बीज को कौन तोड़ता? इसलिए अभाव से भाव की उत्पत्ति नहीं होती। वादी फिर आक्षेप करता हैः-