सूत्र :ईश्वरः कारणं पुरुषकर्माफल्यदर्शनात् II4/1/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मनुष्य जिस प्रयोजन से कर्म करता है प्रायः उस कर्म से वह प्रयोजन सिद्ध नहीं होता, इससे वह कर्म निष्फल जाता है। मनुष्य की इच्छा और कर्म के अनुसार फल होता हुआ न देखकर अनुमान होता है कि कर्मों का फल देने वाला कोई दूसरा है। यदि कर्म आप ही फल देने वाला होता तो कर्म के समाप्त होने पर उनका फल अवश्य मिलना चाहिए था परन्तु कर्म स्वयं फल देने में असमर्थ है, इसलिए कर्म फल देने वाला ईश्वर है। दूसरा प्रतिपक्षी कहता हैः-