सूत्र :न विनष्टेभ्योऽनिष्पत्तेः II4/1/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : नष्ट बीज से अंकुर की उत्पत्ति नहीं होती, बीज का गलना नष्ट होना नहीं है, किन्तु वह एक अवस्थान्तर को प्राप्त होकर अंकुर को उत्पन्न करता है, न कि नष्ट होकर। इसलिए अभाव से भाव की उत्पत्ति मानन ठीक नहीं। पुनः इसी की पुष्टि करते हैं-