सूत्र :नातीतानागतयोः कार-कशब्दप्रयोगात् II4/1/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : बीज का नाश करके अंकुर का उत्पन्न होना अहैतुक नहीं है, क्योंकि भूत और भविष्य में भी जो अविद्यमान है कार्य कारण भाव का प्रयोग होता है। जैसे पुत्र की उत्पत्ति से पहले उसके जन्म होने होने का हर्ष होता है। या घड़े के टूटने के पश्चात् उसका शोक होता है। ऐसे ही बीज के नाश करने वाले अंकुर के होने से पहले उसको जोड़ने वाला कहा गया। इसमें कुछ भी व्याघात नहीं, अब इसका उत्तर देते हैं-