सूत्र :निमित्तानिमित्तयोरर्थान्तरभावा-दप्रतिषेधः II4/1/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : निमित्त और वस्तु है और उसका खण्डन और कोई वस्तु अपना ही खण्डन नहीं कर सकती। जैसे अग्नि और पदार्थों को जलाता है पर अपने को नहीं जला सकता, वायु अन्य पदार्थों को सुखाता है पर अपने को नहीं सुखा सकता। ऐसे ही कारण का अभाव किसी का कारण नहीं हो सकता। ज बवह स्वयं अभाव है तो फिर उससे भाव की कल्पना आकाश कुसुम से बढ़ कर नहीं है। अब अनित्यवादी आक्षेप करता हैः