सूत्र :नानित्यतानि-त्यत्वात् II4/1/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सब अनित्य है ऐसा कहने से सब में जो अनित्या है, उसका नित्य होना सिद्ध होता है। क्योंकि यदि अनित्या को भी अनित्यमान लिया जाए तो सबका नित्य होना सिद्ध हो जायेगा और यदि अनित्या नित्य है तो फिर सब का अनित्य होना कहा रहां। क्या वह अनित्यता सब से बाहर है? इस पर भी आक्षेप करते हैं-