सूत्र :उपपन्नश्च: त्द्विगर्योगे कर्मक्षयोपपत्ते II3/2/72
सूत्र संख्या :72
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म के नाश हो जाने पर अर्थात् जब भोगते-भोगते कर्म समाप्त हो जाते हैं, तब शरीर से आत्मा अलग हो जाती है और शरीर की उत्पत्ति में कर्म को निमित्त न मानोगे तो पच्चभूतों के नाश न होने से शरीर और आत्मा का वियोग कभी न होगा। दूसरी शंका करते हैं:-