सूत्र :नोत्पत्तिनिमित्तत्वान्मातापित्रोः II3/2/67
सूत्र संख्या :67
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : माता पिता के रजवीर्य से शरीर की उत्पत्ति होती है, इसको सब जानते हैं, फिर इस दृष्ट और प्रसिद्ध कारण को छोड़कर अदृष्ट कर्म को निमित्त मानना ठीक नहीं। वादी दूसरा हेतु और देता है: