DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :प्राप्तौ चानियमात् II3/2/69
सूत्र संख्या :69

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : स्त्री-पुरुष के संयोग से भी यह नियम नहीं कि अवश्य ही पुत्रोत्पत्ति होगी, इसलिए स्त्री-पुरुष का संयोग शरीरत्पत्ति का अन्यतम कारण नहीं हो सकता। इसी प्रकार आहार भी यद्यपि रजवीर्य को उत्पन्न करता है तथापि जब रजवीर्य ही शरीरत्पत्ति का अन्यतम कारण नहीं, तब आहार क्योंकर हो सकता है ? केवल कर्म ही शरीरत्पत्ति का अन्यतम कारण हो सकता है। यदि कर्मफल निमित्त होता है तो एक ही बार के संयोग से गर्भास्थिति हो जाती है, अन्यथा बार-बार के संयोग से भी सफलता नहीं होती। फिर इसी की पुष्टि करते हैः-