सूत्र :भूतेभ्यो मूर्त्युपादानवत्तदुपादानम् II3/2/65
सूत्र संख्या :65
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे बिना कर्म और फलभोग के भूतों से मिट्टी, धातु, पत्थर आदि की मूर्तियां बनती हैं और भूतों के परमाणु ही उनके उपादान वा निमित्त कारण माने जाते हैं। ऐसे ही बिना कर्म और उनके फलभोग के मनुष्यादि के शरीर उत्पन्न होते हैं, कर्म या फलभोग के निमित्त मानने की क्या आवश्यकता है ? इसका उत्तर देते हैं: