सूत्र :तथा वैधर्म्यात् II1/1/35
सूत्र संख्या :35
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उदाहरण के विरोध से भी यदि किसी वस्तु का प्रमाण वर्णन किया जाय तो वह भी हेतु अर्थात् युक्ति कहलाती हैं। यथा शब्द क्यों अनित्य है ?
व्याख्या :
उत्तर-उत्पत्तिमान् होने से इसके विरोध से पाया जाता है कि जो उत्पत्तिमान नहीं है वह अनित्य नहीं है जैसे आत्मादि हैं।
प्रश्न-उदाहरण किसे कहते हैं ?