DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

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सूत्र :समानतन्त्रसिद्धः परतन्त्रासिद्धः प्रतितन्त्रसिद्धान्तः II1/1/29
सूत्र संख्या :29

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जो किसी विचार की पुस्तकों में तो सिद्ध हो और दूसरे विचार के शास्त्र वाले उसका खण्डन करें तो वह प्रतितन्त्र सिद्धांत अर्थात् एकदेशी सिद्धांत कहलाता है । यथा नैयायिक लोग संसार की उत्पत्ति अपने ही कर्मों से मानते हैं और सांख्य वाले उसके विरूद्ध कार्य को नित्य मानते हैं । प्रश्न-अधिकरण सिद्धान्त किसे कहते हैं ?

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