सूत्र :ज्ञानायौगपद्यादेकं मनः II3/2/60
सूत्र संख्या :60
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मन एक समय में एक ही इन्द्रिय के विषय को ग्रहण करता है। एक समय में दो इन्द्रिय के विषयों का ज्ञान न होना ही मन के होने का प्रमाण हैं, इस लिए मन एक है। यदि मन अनेक होते तो एक समय में अनेक ज्ञानों का होना सम्भव था। क्योंकि सब इन्द्रियों के साथ एक-एक मन का संयोग होकर सब विषयों का एक साथ ज्ञान होता, परन्तु ऐसा नहीं होता। इसलिए मन एक है। वादी आक्षेप करता है: