सूत्र :न केशनखादिष्वनुपलब्धेः II3/2/55
सूत्र संख्या :55
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . चेतनता सारे शरीर में मौजूद नहीं हैं, क्योंकि शरीर के रोम और नखादि में उसकी उपलब्धि नहीं होती। इसलिए यह कहना कि चेतनता सारे शरीर में व्याप्त है, ठीक नहीं। अब इसका उत्तर देते हैं: