सूत्र :त्वक्पर्यन्तत्वाच्छरीरस्य केशनखादिष्वप्रसङ्गः II3/2/56
सूत्र संख्या :56
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जहां शरीर का लक्षण कहा गया है, वहां चेष्टा और इन्द्रियों के आश्रय को शरीर कहा है इसलिए त्वचापर्यन्त (खाल तक)यह शरीर हैं, केश और नख उससे बाहर हैं। क्योंकि इनमें न तो चेष्टा पाई जाती हैं और न ही ये कोई इन्द्रिय हैं और न किसी इन्द्रिय अथिष्ठान हैं, इसलिए केश और नख शरीर नहीं हैं। इसी अर्थ की पुष्टि में दूसरा हेतु देते हैं: