सूत्र :तेनैव तस्याग्रहणाच्च II3/1/73
सूत्र संख्या :73
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सहायक के न होने से इन्द्रिय अपने स्वरूप को अथवा आन्तरिे गुणों को ग्रहण नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि कोई वस्तु बिना बाहर की सहायता के अपने को ग्रहण नहीं कर सकती। जैसे आंख अपने बाहर के पदार्थों को देख सकती है, भीतर के नहीं। हाथ बाहर के पदार्थों को पकड़ सकता है, भीतर के नहीं। अतएव केवल उस ही उसका ग्रहण नहीं हो सकता। इस पर वादी शंका करता हैं-