सूत्र :भूतगुणविशेषोपलब्धे-स्तादात्म्यम् II3/1/63
सूत्र संख्या :63
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पंचभूतों से गन्धादि गुणों की उपलब्धि प्रत्यक्ष देखने में आती है, जैसे वायु से स्पर्श, आकाश से शब्द, अगिन से रूप, जल से रस और पृथ्वी से गन्ध की उपलब्धि होती है और यही भूतों के पांच गुण इन्द्रियों के विषय हैं, इससे सिद्ध है कि इन्द्रियों की प्रकृति पांच भूत है, वह इन्द्रिय उसी भूत का कार्य है, यह अनुमान सिद्ध है इसलिए पंचभूत ही पांचों इन्द्रियों के कारण है। अब इनके गुण दिखलाते हैं-