सूत्र :इन्द्रियार्थपञ्चत्वात् II3/1/58
सूत्र संख्या :58
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इन्द्रियों कें विषय पांच हें, जिसके नाम ये हैं, शब्द, स्पर्श रूप, रस औरगन्ध। त्वचा से केवल स्पर्श का ज्ञान होता है, शब्दादि अन्य चार का नहीं, जिन कान, आंख जिहां और नासिका से शब्दादि अन्य चार विषयों का ज्ञान होंता है, उनका त्वचा से भिन्न होना अनुमान सिद्ध हैं उक्त पांचों विषयों का भिन्न-भिन्न पांचों इन्द्रियों से ज्ञान होने और एक के विषय का दूसरे इन्द्रिय से ज्ञान न होने से यह सिद्ध है कि पांच ही ज्ञानेन्द्रिय हैं, न कि एक। वादी फिर आक्षेप करता हैः