सूत्र :त्वगव्यतिरेकात् II3/1/52
सूत्र संख्या :52
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : त्वग अर्थात् खाल से रहित देह का कोई भाग नहीं या शरीर के किसी भाग या इन्द्रियमें त्वचा का अभाव नहीं है और न कोई इन्द्रिय ऐसा है कि जिसका सहारा त्वचा न हो। यहद खाल का चमड़ा मढ़ा हुआ न हो तो सारे इन्द्रिय और शरीर विकल हो जायें और कुछ भी काम न कर सकें, इसलिए त्वचा ही एक इन्द्रिय है। इसका उत्तर देते हैं-