सूत्र :महदणुग्रहणात् II3/1/31
सूत्र संख्या :31
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आखं से छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा पदार्थ भी देखा जाता है, इसलिए इन्द्रिय अभौति हैं, क्योंकि भौतिक पदार्थों का यह नियम हैं कि वे जितनी सोमा में होते हैं उनकी शक्ति और प्रभाव उस सीमा का अतित्रमण नहीं कर सकते।
व्याख्या :
प्रश्न- क्या आंख सब छोटे-बड़े पदार्थ में व्यापक हो जाती हे?
उत्तर-छोटे से छोटे सरसों के दानें और बड़े से बड़े पहाड़ को इसी आंख से देखते हैं इससे आंख का अभौतिक होना सिद्ध हैं, क्योंकि यदि पुतली आंख होती, तो इतने बड़े पहाड़ को कैसे देख सकती आक्षेप हो चुके, अब इसका समाधान करते हैं-