सूत्र :सगुणद्रव्योत्पत्तिवत्तदुत्पत्तिः II3/1/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे उत्पत्ति धर्म वाले घटादि कार्यों के रूपादि गुण कार्योंत्पत्ति के साथ हो आप ही उत्पन्न हो जाते हैं, ऐसे ही उत्पन्न होने वाले आत्मा में रागादि गुणों की उत्पत्ति भी स्वंयमेव हो जायेगी। इसमें पूर्व संस्कार या स्मृति के मानने की क्या आवश्यकता हैं ? अतएव आत्मा अनित्य है, अब इसका उत्तर देते हैं:-