सूत्र :उपलब्धेरद्विप्रवृत्तित्वात् II2/1/48
सूत्र संख्या :48
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि शब्द अनुमान से भिन्न दूसरा प्रमाण होता है, तो उसकी प्रवृत्ति अनुमान से भिन्न प्रकार की होती, किन्तु इन दोनों की प्रवृत्ति एक ही प्रकार की देखने में आती है, क्योंकि जिस प्रकार प्रत्यक्ष धूप को देखकर अप्रत्यक्ष अग्नि का अनुमान होता है, ऐसे ही प्रत्यक्ष शब्द से अप्रत्यक्ष अर्थ जाना जाता है, इसलिए ज्ञान शब्द से होता है, उसको भी अनुमान ही समझना चाहिएए। इसी की पुष्टि में एक हेतु और दिया जाता है।