सूत्र :प्रसिद्धसाधर्म्यादुपमानसिद्धेर्यथोक्तदोषानुपपत्तिः II2/1/43
सूत्र संख्या :43
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उपमान के लिए प्रसिद्ध धर्मों का मिलना आवश्यक है, क्योंकि हमने उपमान के लक्षण में प्रसिद्ध साधर्म्य से साध्य को सिद्ध करना कहा था, अत्यन्त अधिक और एक धर्म की समांता को उपमान नहीं कहा, इसलिए उक्त सूत्र में कहे हुए दोष प्रसिद्ध साध्म्र्य से सिद्ध होने वाले उपमान में नहीं लग सकते। इस पर वादी फिर आक्षेप करता हैं-