सूत्र :प्रत्यक्षेणाप्रत्यक्षसिद्धेः II2/1/44
सूत्र संख्या :44
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इस प्रकार से जो प्रत्यक्ष से प्रत्यक्ष का सिद्ध होना माना गया है, वह अनमान के अन्तर्गत है। जैसे धूम को प्रत्यक्ष देख कर अप्रत्यक्ष अग्नि का ज्ञान होता जाता है। ऐसे ही प्रत्यक्ष गौ को देखकर अप्रत्यक्ष नील गाय का अनमान हो सकता है। जब अनुमान और उपमान में कुछ भेद नहीं, तब अनुमान की उपस्थिति में उपमान का मानना निरर्थक है। इसका उत्तर दिया जाता है।