सूत्र :तथेत्युपसंहारादुपमानसिद्धेर्नाविशेषः II2/1/46
सूत्र संख्या :46
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसा देवदत्त है, वैसा ही विष्णमित्र भी है, यह सादृश्य ज्ञान संसार में देखा जाता है, यह प्रत्यक्ष और देखा जाता है, यह प्रत्यक्ष और अनुमान दोनों से सिद्ध नहीं हो सकता। इसलिए इसके लिए तीसरा उपमान प्रमाण माना गया है। उपमान की परीक्षा समाप्त हुई, अब शब्द प्रमाण की परीक्षा आरम्भ की जाती है। पहले उस पर वादी आक्षेप करता है।