DARSHAN
दर्शन शास्त्र : योग दर्शन
 
Language

Darshan

Shlok

सूत्र :समाधि सिद्धिः श्वरप्रणिधानात् ॥॥2/45
सूत्र संख्या :45

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द

अर्थ : पद० - समाधिसिद्धि:। ईश्वरप्रणिधानात्। पदा० - (ईश्वरप्रणिधानात्) ईश्वरप्रणिधानसिद्ध होने से (समाधिसिद्धि:) समाधि की प्राप्ति होती है।।

व्याख्या :
भाष्य- समाधिसिद्धि ईश्वरप्रणिधानासिद्धि का फल है, अर्थात् ईश्वर के प्रणिधान से निर्विघ्रता पूर्वक सिद्ध हुए यम, नियमादि योग के अड्डोंद्वारा शीघ्र ही योगी को समाधि का लाभ होता है।। स्ं० - यम नियमों का सिद्धि का चिन्ह कथन करके अब आसन का लक्षण करते हैं:-

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