सूत्र :बाह्याभ्यन्तर विषयाक्षेपी चतुर्थः ॥॥2/51
सूत्र संख्या :51
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - वाह्माभ्यन्तरविषयाक्षेपी । चतुर्थ:।
पदा० - (वाह्मा०) रेचक, पूरक प्राणायाम की अपेक्षा से रहित प्राणायाम का नाम “वाह्मविषय” और पूरक का नाम “आभ्यन्तरविषय” है, विषय, देश, यह तीनों पय्र्याय शब्द हैं, अतिक्रमण को “आक्षेप” कहते हैं और आक्षेपशील का नाम “आक्षेपी” है, जिसका ग्राणायाम में रेचक तथा पूरक प्राणायाम के अतिकमण से प्राणों का निरोध होता है अर्थात् जिस प्राणायाम में दोनों की अपेक्षा से रहित घटीलेवर की भांति असंकृत प्रयत्र से शनैः २ प्राण स्थित होते हैं उसको “चतुर्थप्राणायाम” कहते हैं, इसका दूसरा नाम “केवल कुम्भक” प्राणायाम है ।।
सं० - अब प्राणायाम का फल कथन करते हैं:-