सूत्र :तस्मिन् सति श्वासप्रश्वास्योर्गतिविच्छेदः प्राणायामः ॥॥2/49
सूत्र संख्या :49
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० -तस्मिन् । सति। श्वासप्रश्वासयो:। गतिविच्छेद:। प्राणायाम:।
पदा० - (तस्मिन् , सति) आसन की सिद्धि होने पर (श्वासप्रश्वासयो:) श्वास, प्रश्वास की (गतिविच्छेद:) गति के अभाव का नाम (प्राणायम:) प्राणायाम है।।
व्याख्या :
भाष्य - बाहर की वायु का भीतर जाना “श्वास” और भीतर की वायु का बाहर आना “प्रश्वास” कहलाता है, योगाशास्त्र की रीति से इन दोनों की गति के अभाव को प्राणायाम कहते हैं।।
यहां यह भी स्मरण रहे कि जैसे अन्यकाल में अनुष्ठान किए हुए यम नियम योग का अड्ंग हो सकते हैं वैसे आसन नहीं, किन्तु योग से अव्यवहित पूर्व ही अनुष्ठान किया हुआ योग का अड्ंग होसकता है इसी के बोधन करने को सूत्र में “तस्मिन् सति” पद दिया है।।
सं० - अब अवान्तर भेदों के सहित उक्त प्राणायाम का निरूपण करते हैं:-