सूत्र :सूक्ष्मविषयत्वम्चालिण्ग पर्यवसानम् ॥॥1/45
सूत्र संख्या :45
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - सूक्ष्मविषयत्वं । च । अलिड्डपर्यवसानम्।
पदा० - (च) और सूक्ष्म विषय में होनेवाली समाधि का (अलिड्डपर्यवसानम्) ईश्वर पर्य्यन्त (सूक्ष्मविषपत्वं) सूक्ष्मविषय है।।
व्याख्या :
भाष्य - सूक्ष्म विषय में होनेवाली सविचार तथा निर्विचार समाधि के विषय की अवधि परमात्मा है।।
और जो आधुनिक टीकाकार “अलिड्ड” पद का अर्थ प्रकृति करके सविचार तथा निर्विचार समाधि का विषय प्रकृति पर्य्यन्त करते हैं यह टीका नहीं, क्योंकि “इन्द्रियेभ्यः पर मनोमनसः सत्त्वमुत्तमम्” कठ ६ । ८ इत्यादि उपनिषदों में स्पष्ट पाया जाता है कि अलिड्ड परमात्मा का नाम है और वह प्रकृति से सूक्ष्म है, उसी के ज्ञान से योगी जन अमृतको प्राप्त होते है, अतएव यहां “अलिड्ड” पद का अर्थ ईश्वर है, प्रकृति नहीं।।
सं० - अब सब समाधियों को मिलाकर सम्प्रज्ञातसमाधि का उपसंहार करते हैं:-