सूत्र :संयोगिनो दण्डात्समवायिनो विशेषाच्च 7/2/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दण्डी पुरूष, इस ज्ञान में दण्ड और पुयष का संयोग सम्बन्ध है अर्थात् पुरूष के साथ दण्ड मिला हुआ होने से दण्डी पुरूष कहलाता है। और हाथी कंजर इस ज्ञान में समवाय सम्बन्ध अर्थात् जिन अवयवों के संगठनों का नाम ही हाथी है उन सम्पूर्ण अवयवों के मिले होने की अवस्था में ही हाथी का ज्ञान हो सकता है दूसरी अवस्था में नहीं इस वास्ते वह विशेषतया मिले होने से ही वह शल उत्पन्न होकर अपने प्रकाश का कारण होती है। जिस प्रकार तारों के संगठन और कपड़े का ज्ञान एक साथ होता है जो कि समवाय सम्बन्ध को बताया है ऐसा ही शब्द और उने अर्थ का ज्ञान नहीं होता। इस वस्ते शब्द और अर्थ में न संयोग सम्बन्ध है और नहीं समवाय सम्बन्ध है।
प्रश्न- यदि शब्द और अर्थ में संयोग और समवाय सम्बन्ध नहीं, तो किस सम्बन्ध से शब्द नियमित अर्थो को प्रकाशित करता है।