सूत्र :गुणैर्गुणाः 7/2/25
सूत्र संख्या :25
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार द्रव्य गुणादि पदार्थों से सत्ता एक पृथक् वस्तु है वह केवल ज्ञान ही द्वारा ही मालूम होती है। ऐसे द्रव्य गुण कर्मादि से पृथक् असमवाय है। वह न द्रव्य में रहता है न गुण में, नहीं कर्म में किन्तु आस्तित्व से प्रथक् है। अब उसका एक होना प्रमाणित करते हैं।