सूत्र :परत्वापरत्वयोः परत्वापरत्वाभावोऽणुत्वमह-त्त्वाभ्यां व्याख्यातः 7/2/23
सूत्र संख्या :23
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म में कर्म नहीं होता इसका वर्णन भी प्रथम हो चुका है। इसलिए दुबारा ज्यादा नहीं लिखा जाता।
अर्थ- गुणों में गुण नहीं। इसका वर्णन भी पहले कर चुके हैं ।
प्रश्न-परत्व और अपरत्व तो संपूर्ण वस्तु में समवेत है अर्थात् उसका सममायकारण सम्र्पूा वस्तु है। ज्ञानादि का समवाय कारण आत्मा है अब बतलाइए; कि समवाय क्या वस्तु है?