सूत्र :विरोध्यभूतं भूतस्य 3/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो पदार्थ से उत्पन्न हुए हैं यदि उनका उत्पन्न होने वाले पदार्थ से पता लगे तो विरोधि लि़ंग है अर्थात् जहां कार्य से कारण का अनुमान किया जावे वहां विरोधि लिगंन होगा। जैसे वर्षा इस बात को बतलाती है कि बादल और वायु के बिना मिले वर्षा का होना सम्भव नहीं। इस देश में हिंसक नहीं हैं अतः सारे जीव निर्भय फिरते हैं। जीवों के निर्भय करने का पता हिंसक मनुयषें के न होने से लग जाता है। ऐसे ही और भी विचार लेना वाहिए।