सूत्र :अन्यदेव हेतुरित्यनपदेशः 3/1/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो हेतु किसी सत्ता के प्रमाण के लिए दिया जाता है वह उस वस्तु से पृथक् होता है। यदि आत्मा का तादात्म्य सम्बन्ध पाया जाता तो वह हेतु नहीं हो सकता, क्योंकि वह अभी स्वयं सिद्ध नहीं वह दूसरे को क्या सिद्ध करेगा।
प्रश्न- जिस प्रकार अग्नि, जिसका धूम के साथ सम्बन्ध होने से, अनुमान होता है, ऐसे ही कान आदि इन्द्रियों का न तो तादात्म्य सम्बन्ध हो सकता है और नहीं इन्द्रियें आत्मा का कार्य है, फिर उनसे अनुमान किस प्रकार हो सकता है, क्योंकि अनुमान दो अवस्थाओं के बिना नहीं हो सकता।