सूत्र :प्रतिबन्धदृशः प्रतिबद्धज्ञानमनुमानम् II1/100
सूत्र संख्या :100
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो इन्द्रिय ग्राह्य पदार्थ नही दीखता, उसके ज्ञान के साधन को अनमान कहते है, जैसे- अग्नि प्रत्यक्ष नही दीखती, किन्तु धूम को देखकर उसका ज्ञान हो जाना, इसी का नाम अनुमान है। यह अनुमान व्याप्ति और साहचर्य नियम के ज्ञान बिना नही होता, जैसे- जब तक कोई पुरूष पाकशाला आदि में धूम अग्नि को व्याप्त न समझ लगा कि जहां-जहां धूम होता है, वहाँ-वहाँ अग्नि अवश्य होती है तब तक धूम को देख कर अग्नि का अनुमान कदापि नही कर सकता। वह अनुमान कितने प्रकार का है, इसका निर्णय आगे करेगे। किन्तु प्रथम शब्द प्रमाण का लक्षण करते है।