सूत्र :मुक्तात्मनः प्रशंसा उपासा सिद्धस्य वा II1/95
सूत्र संख्या :95
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उपासना के सिद्ध होने से जो मुक्तात्मा की प्रशंसा की जाती है, इससे प्रतीत है कि ईश्वरर है, जिसकी उपासना से अववेक की निवृत्ति और विवेक की प्राप्ति होकर मुक्ति प्राप्त होती है।