सूत्र :यद्वा तद्वा तदुच्छित्तिः पुरुषार्थ- स्तदुच्छित्तिः पुरुषार्थः II6/70
सूत्र संख्या :70
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रकृति और पुरूष का चाहे कोई क्यों न सम्बन्ध हो किन्तु किसी न किसी प्रकार से उस सम्बन्ध का नाश हो जाय उसको ही मोक्ष कहते हैं, सांख्याचार्य का यही मत है। ‘‘तदुच्छिति’’ ऐसा दो बार कहना वीप्सा में है। इस अध्याय में जो-जो विषय कहे गये हैं इन विषयों को पहिले पांच अध्यायों में खूब फैलाकर कह चुके हैं, इस वास्ते इन सूत्रों की व्याख्या बहुत फैलाकर नहीं की है।
इति सांख्यदर्शंने षष्डोऽध्यायः पूर्तिमगात्।।
समाप्तश्चायं ग्रन्थः।