सूत्र :आप्तोपदेशः शब्दः II1/101
सूत्र संख्या :101
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह सूत्र सब शास्त्रों में ऐसा ही है। जैसे तीनों वेदों में गायत्री मन्त्र एक सम है, इसी भांति इस सूत्र को भी जनता चाहिये। जो पुरूष धर्मनिष्ट वाह्य धर्म के ज्ञानको यथार्थ रीति पर जानते हैं, तथा शुद्ध आचरणवान् हैं, उनका नाम आप्त है। उनके उपदेश को शब्द प्रमाण कहते हैं, आप्ति का अर्थ योग्यता हैं, इस कारण तत्त्वज्ञान से युक्त अपोरूष वाक्य वेद हो शब्द प्रमाण जनता चाहिये। अब अगले सूत्र से प्रमाण मानने की आवश्यकता को प्रकट करते हैं।