सूत्र :योगिनामबाह्यप्रत्यक्षत्वान्न दोषः II1/90
सूत्र संख्या :90
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह लक्षण बाह्य प्रत्यक्ष का है और योगियों को अबाह्य प्रत्यक्ष भी होता है, इसलिए योगियों का प्रत्यक्ष बाह्य रूप न होने से दोष नही। इसके लिए और युक्ति देते है।