सूत्र :लीनवस्तुलब्धातिशय-सम्बन्धाद्वादोषः II1/91
सूत्र संख्या :91
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : योगियों ऐसी वस्तु का जो दूर हो अथवा दूसरे के चित्त में हो उसके साथ भी सम्बन्ध रखते है, इस वास्ते योगियों के ऐसे प्रत्यक्ष में दोष नही आता।