सूत्र :त्रिविधं प्रमाणं तत्सिद्धौ सर्वसिद्धेर्नाधिक्यसिद्धिः II1/88
सूत्र संख्या :88
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इन तीन प्रमाणों के सिद्ध होने से सब पदार्थों की सिद्धिहो जाती है, इसलिए और प्रमाण मानने की आवश्यकता नही, क्योंकि महात्मा मनु ने भी लिखा हैः-
अर्थ- प्रत्यक्ष अनुमान शास्त्र के अनकूल जान कर कार्य करना चाहिए, क्योंकि धर्म की शुद्धि की इच्छा वालों की इच्छा इनसे पूरी हो सकती है और उपमानादि प्रमाण नही के अन्दर आ जाते है।