सूत्र :काम्येऽकाम्येऽपि साध्यत्वाविशेषात् II1/85
सूत्र संख्या :85
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : चाहे कर्म निष्काम हो चाहे सकाम हो, परन्तु ज्ञान के बिना मुक्ति का साधन नही हो सकता, क्योंकि दोनोंप्रकार के कर्मो में साध्यत्व अर्थात् शरीर से उत्पत्ति वाला होना समान है और श्रुति में भी लिखा है ‘न कर्मणा न प्रजया’’ इत्यादि अर्थात् न तो कर्म से मुक्ति होती, न प्रजा से, न धन से, ज्ञान के बिना किसी साधन से मुक्ति नही होती है ?