सूत्र :नानुश्रविकादपि तत्सिद्धिः साध्यत्वेनावृत्तियोगादपुरु-षार्थत्वम् II1/82
सूत्र संख्या :82
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह तो पहिले कह चुके है कि दुष्ट पदार्थों वा कर्म से दुःखत्यन्त निवृत्ति नही होती। अब कहते है कि ज्ञान के बिना वेदोक्त कर्म से भी मुक्ति नही होती, क्योकि वैदिक कर्मों से जो स्वर्गादि सुख मिलते है उनका भी नाश हो जाता है, इस वास्ते यह पुरूषार्थ नही। पहिले ‘‘न कर्मण अन्यधर्मत्वात्’’ इस सूत्र में कम से बन्धन नही होता, इसका खण्डन किया था, अब कर्म से मुक्ति होती है इसका भी खंडन कर दिया।
प्रश्न- श्रुति में बतलाया गया है कि इस प्रकार कर्म से बंह्यलोक को प्राप्तहोकर ब्रह्यलोक की आयु तक पुनरावृत्ति नही होती?