सूत्र :तत्र प्राप्तविवेकस्यानावृत्तिश्रुतिः II1/83
सूत्र संख्या :83
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इस श्रुति में भी प्राप्त विवेक ही के वास्ते वैदिक कमों से अनावृत्ति से मानी गई है। यदि ऐसा न मानो तो दूसरी श्रुतियों से जो ब्रह्यलोक से पुनरावृत्ति का कथन करती है, विरोध होकर दोनों का प्रमाण नही रहेगा, इसलिए प्राप्त विवेक ही से मुक्ति माननी चाहिए।